आज हनुमान जी का चेला बना !!
बुधवार की शाम हम पुनः मंदिर में हनुमान जी के सम्मुख उपस्थित थे.
फिर वही हाल-चाल हुई और फिर हमने अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढ़ाई.
हनुमान जी : ह ह ह लाओ भाई देखें क्या हुआ तुम्हारा !!
और हनुमान जी दिनचर्या पढ़ने लगे-
१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. १०:०० बजे तक लंच करना.
७. ११:०० बजे तक डिनर करना.
अच्छा एक बात बताओ. कल तुम्हारे जाने के बाद हमने दो पुजारियों को तुम पर टिप्पणी करते हुए सुना कि ये तो हनुमान जी का चेला है ! तुम बताओ तुम क्या सोचते हो इस बारे में !!
राजीव : (मुस्कुराते हुए) प्रभु ! इसमें गलत क्या है !
मैं तो हूँ ही आप का दास.
हमारा खुद के जागने का समय सुधार पाना असंभव था पर आप ने पूरे एक घण्टे सुधार कर दिया है. मैं तो ऋणी हूँ आप का.
हनुमान जी : तो यह दिखना भी तो चाहिये !
राजीव : प्रभु ! हम समझे नहीं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं !
हनुमान जी : देखो एकदम सूखे से हो तुम्हें हृष्ट-पुष्ट दिखना चाहिये. बलिष्ठ दिखो हमारी तरह तब तो कोई बात है. राम जी के सामने ऐसे ही पहुँच लोगे तो मेरी क्या इज्जत रह जायेगी.
राजीव : मतलब !
हनुमान जी : अरे यार, तुम मतलब बहुत पूछते हो. कुछ व्यायाम भी किया करो, दंड-बैठक आदि.
राजीव : जी प्रभु ! (हम समझ गये कि कल से हमारी दिनचर्या में व्यायाम भी जुडना चाहिये.)
हम बृहस्पतिवार का लक्ष्य लेकर ह्रदय में विचार करते हुए शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर................
3 comments on "आज हनुमान जी का चेला बना !!"
वाह बड़ी ही सुन्दर बात कह दी. बिलकुल ऐसे ही हैं मेरे राम. :-)
@ हिमान्शु मोहन जी : अब हनुमान जी का आदेश है, उपेक्षणीय तो हो ही नहीं सकता न !! :-)