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आज हनुमान जी से लड़ के घर आया हूँ !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

कल घर लौट कर हमने सोचा कि हम भी कभी-कभी कितनी बड़ी-बड़ी त्रुटियाँ कर जाते हैं.
समय-सारिणी बना-बना कर इतने दिनों से रोज-रोज चले आ रहे हैं, एक बार भी ये न सोचा कि समय-सारिणी में तो समय ही नहीं है !
हद हो गयी बेवकूफी की !
अब आज समय हमने जोड़ लिया है अब जो होगा देखा जाएगा. अंततः निर्णय हनुमान जी को ही लेना है.
चलिए....
होइहें सोई जो राम रची राखा|
को करी तर्क बढ़ावे शाखा ||
अब हम मंदिर के द्वार पर थे, पीतल के लटक रहे बड़े से घंटे को जोर से बजाया, जैसे मन ही मन घंटे से कह रहे थे कि हम खुदहने घंटा हो गये हैं और हनुमान जी बजा रहे हैं. हा हा हा.
(अन्दर हनुमान जी की आँख खुली...पता नहीं घंटी बजाने से या मेरे हँसने से. :).....)
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हनुमान जी बोले- घंटा थोडा धीरे बजाय करो, हम चौंक जाते हैं....ह ह ह.
तुम्हारे बजाने के अंदाज से लगा कि हमसे नाराज़ हो !!
हमने कहा : नहीं ऐसा कुछ नहीं वह घण्टे पर हाथ थोडा सा तेज पड़ गया था. :P
फिर हमने दिनचर्या...नहीं-नहीं समय-सारिणी उनकी ओर बढ़ाई और....
कहा : आज तो समय-सारिणी में समय है प्रभु.
अब आप को समय-निर्धारण में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
(हनुमान जी को यह बात शायद बुरी लग गयी.)
हनुमान जी : अच्छा जी, हम सारी दुनिया के संकट-मोचक और हमारी समस्या आप दूर कर रहे हैं ! भई बहुत खूब !
(हम डर गये कि हमारे साथ ये क्या हो रहा है, हमारी हर बात का कोई न कोई गलत अर्थ निकाल ले रहा है !
बड़ी समस्या है यार !!)
हनुमान जी हमारी दिनचर्या पढते हुए....
१. ३:३० बजे तक उठ जाना.
२. ४:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ५:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ६:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ८:०० बजे तक नहाना.
६. ११:०० बजे तक भोजन करना.
वे पन्ना पलटे..
और बाकी का.....!!
राजीव : बस हो गया !......... बाकी और क्या !
हनुमान जी : अरे बाकी की दिनचर्या.... !!
ये तो लंच तक ही हुई ना... !!
बाकी की आधी दिनचर्या कहाँ है ?
राजीव : हमने कहा कि यही डिनर है और यही लंच है, प्रभु.
हनुमान जी : मतलब !
राजीव : मतलब सरजी देखिये दोपहर ३:३० बजे जब सोकर उठे तो लंच काहे का.... !!
एक ही बार खाया है वह भी रात को.
अब आप उसे लंच कहिये या डिनर आपका मन !!
क्या आप दोपहर को सोकर उठते हैं ????????????
और सोते कब हैं ????????
राजीव : वही रात को ३-४ बजे के आस-पास.
हनुमान जी : आप को पता है....जब आप सोने जाते हैं तब हमारे प्रभु सोकर उठते हैं.
आप सुबह के चार बजे सोने जाते हैं और हमारे प्रभु सुबह के चार बजे सोकर उठते हैं !!
इसीलिए आपको प्रभु नहीं मिल पा रहे हैं.
और हम क्या मिलवा दें आपको !!
जिस समय हम आपको चलने को कहेंगे आप उस समय सोये पड़े रहेंगे !!
क्षमा कीजिए आप प्रभु से नहीं मिल सकते !
राजीव : पर क्यों नहीं मिल सकते ?
हनुमान जी : क्योंकि समय आपके पास नहीं है....
राजीव : अरे कैसे नहीं है कोई तो समय होगा जब हम दोनों ही जगे रहते हों !
हनुमान जी : बस अब क्या कहना आगे जब आपके पास अपने लिए ही समय नहीं है.
राजीव : अरे आप किसी बात कर रहे हैं !
समय कैसे नहीं है !
हनुमान जी : आप सुबह जाग पायेंगे !
हमारे प्रभु जी सुबह ही मिलते हैं.
राजीव : इतनी अकड है आपके प्रभु को तो हमें नहीं मिलना है........
चलते हैं जय राम जी की.
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हम शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर.................

1 comments on "आज हनुमान जी से लड़ के घर आया हूँ !!"



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