हमारी दिनचर्या क्या है !?
अब हनुमान जी से मिलकर श्री राम जी के पास जाने का समय आ गया. मैं ठीक साढ़े आठ बजे मंदिर की घंटी बजाते हुए मन्द स्मित के साथ हनुमान जी के समक्ष खडा था.
राजीव : प्रणाम हनुमानजी.
हनुमान जी ने अपनी तेजस्वी आँखें खोली और मुझे देखा. हमारे चेहरे की मुस्कान थोड़ी और बड़ी हो गयी.
हनुमान जी : आयुष्मान भवः वत्स. और कैसे हो ?
राजीव : मैं मजे में हूँ आप सुनाइये !!
हनुमान जी हलके से हँसे और बोले : मेरा क्या है.... ह ह ह
राजीव : हाँ आपका क्या है....... हा हा हा !! ( हमारी हंसी उनकी हंसी कि डबल थी )
हनुमान जी : तो कैसे आना हुआ ?
राजीव : (चौंकते हुए) कैसे आना का क्या मतलब ! राम जी के यहाँ चलना है न !
हनुमान जी : इस समय रात्रि के इस प्रहर में !
राजीव : क्यों क्या हुआ अभी तो आठ पैंतीस ही हो रहे हैं. और करना क्या है छन् से आँखें बंद करिये और छन् से प्रभु के समक्ष ! (यह कहकर हमारे चेहरे पर मुस्कान सी आई )
हनुमान जी : इस समय प्रभु खाली नहीं रहते. आपको दिन में आना चाहिए था, हम लोग दिन में चलते.
कल दिन में आइये, कल ही चलते हैं !
राजीव : (नकली गुस्से के साथ) अच्छा जी तो आप टाल रहे हैं !
हनुमान जी : अरे आप दिन में क्या कर रहे थे ! अपनी दिनचर्या बताइये ?
हम चुप रहे.....और एक लंबी ख़ामोशी सी छा गयी....
हनुमान जी : बोलिए....कब जागते हैं ! आपकी दिनचर्या क्या है ?
हम फिर खामोश रहे......
बस यही सोचते रहे कि हमारी दिनचर्या क्या है !!!!
देखिये आज आप घर जाइए और अपनी दिनचर्या बनाकर कल दिखाइए ताकि हम राम जी से मिलने का समय आपकी और प्रभु की सुविधानुसार निकाल सकें.
हम शांतिपूर्वक उठे......
.
.
.
.
.
.
.घूमे.
.
.
.
.
और मंदिर के बाहर.................
बस एक ही प्रश्न मन को मथ रहा था कि हमारी दिनचर्या क्या है !?!?!?!!?!?
सच बताएं तो हमने कभी इस पर सोचा ही नहीं था और न ही कभी इस पर गौर किया था. यही कारण था कि हम कुछ बोल नहीं पाए.
और न बता पाने से हम लज्जित हुए.
बस खुद से यही कह रहे हैं कि हमें अपनी दिनचर्या का ज्ञान तो होना ही चाहिए. अब कल अपनी दिनचर्या बनाकर हनुमान जी को दिखाऊंगा फिर समय निकाला जाएगा राम जी से मिलने का.
फिर कल मिलते हैं तब तक के लिए जय श्री राम.
1 comments on "हमारी दिनचर्या क्या है !?"