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समय-सारिणी में समय कहाँ है !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

कल हनुमान जी ने हमें लगभग तिरस्कृत करते हुए चले जाने को कहा था क्योंकि हम स्नान किये बिना ही मंदिर में गये थे और दस दिन से नहीं नहाये थे.
सही बात है ऐसे गंदे व्यक्ति को राम-दर्शन !!!
हनुमान जी ने ठीक किया कि मुझे मंदिर से निकाल दिया था.
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अब उसका परिणाम ये हुआ है कि हमने विचारा और यह संकल्प लिया कि चाहे गर्मी हो, जाड़ा हो या बरसात रोज नहा ही लेंगे.
यह शपथ ली है.
हम तो चाहते थे कि यह शपथ लें कि उठते ही पहले नहा लें....... फिर कुछ और करें.
पर लगा कि जोश में कुछ ज्यादा न हो जाए. :)

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अब आज स्नान करके हम अपनी नवीनतम परिवर्धित, परिष्कृत, परिमार्जित दिनचर्या के साथ हनुमान जी के समक्ष प्रस्तुत थे.

हमने मंदिर की घंटी बजाई और आज मन में शुचिता का भाव कल की अपेक्षा ज्यादा ही था शायद नहाने से जन्मा था. :)
खैर, हमने मंदिर में प्रवेश किया....
हनुमान जी के पैर छुए और बिना कुछ कहे अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढ़ाई.
हनुमान जी फिर से वही हंसी हँसे : ह ह ह, लाओ देखें क्या सुधार हुआ !
आज नहाये ?
हम मुस्काए और उत्तर दिया : जी.
वे दिनचर्या पढ़ने लगे.
१. उठना.
२. चाय पीना.
३. लैट्रिन जाना.
४. ब्रश करना.
५. स्नान करना.
६. भोजन करना.
ह ह ह...ये क्या है ! इसे ही दिनचर्या कहेंगे ? दिनचर्या को अगर दूसरे शब्द में कहना चाहें तो !!
राजीव : तो ? मैं समझा नहीं !!
हनुमानजी : अरे एक पर्यायवाची बताइये !
राजीव : (हम मुस्काए, ये क्या बेवकूफी है. मेरी हिंदी का टेस्ट ले रहे हैं क्या !!) हमने उत्तर दिया समय-सारिणी.
हनुमान जी जैसे यही सुनना चाह रहे थे. वही अपनी ह ह ह वाली हंसी हँसते हुए बोले : बिलकुल सही अब इसकी अंग्रेजी क्या होगी !!
हम थोडा सा मन ही मन खीझ गये कि अरे चलना कब है यह बताने कि बजाय ये इंटरव्यू लेके क्या आई.ए.एस. बनवा देंगे क्या !! हिंदी में बताओ और अंग्रेजी में बताओ....हां नहीं तो....!!
पर कर भी क्या सकते थे, अतः बोलना पड़ा...
राजीव : टाइम-टेबल.
यह सुनते ही हनुमान जी का चेहरा चमक उठा. वे बोले : बिलकुल सही, वत्स. तुम बुद्धिमान हो.
राजीव : वो तो हूँ ही, पर चलना कब है, महाराज ?
हनुमान जी : अरे पहले टाइम-टेबल तो देख लेने दो....
राजीव : देखिये, देखिये. पर ज़रा जल्दी करिये. (हम व्यग्र हो रहे थे.)
हनुमान जी : एक बात बताइये क्या ये समय-सारिणी या टाइम-टेबल कही जा सकती है ?
राजीव : जी बिलकुल. (हमारा आत्म-विश्वास अपने चरम पर था.)
हनुमान जी : इसमें समय या टाइम जैसी चीज हमें तो नहीं दिख रही है, ज़रा दिखलाइयेगा.
यह सुनकर हमारी स्थिति तो ठीक वैसी थी जैसी उस लड़के की होती है जो विज्ञान के प्रश्न-पत्र को हल करने के लिए सामाजिक विषय की पर्ची लेके परीक्षा-भवन में पहुँचा है !!! काटो तो खून नहीं मालिक, वो हाल था.
यह महसूस करते हुए कि कहीं कुछ भारी भूल हुई है.
हम शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर.................

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