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आखिरकार हनुमानजी ने शरीर-घडी को सुधारने का प्रयास किया !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

हारने का तो हो ही नहीं रहा है, अपने बाप से मिलना है तो ये( सुबह जागने) कष्ट भी तो उठाना ही पड़ेगा !!
कोई बीच का रास्ता तो निकालना ही पड़ेगा !!
यही सोच कर हम रात के दो बजे मंदिर पहुंचे और देखा कि हनुमान जी की पूंछ हिल रही थी. मतलब कि जगे हुए थे !!
दो बजे जगे हुए थे !!
(अरे हमारा क्या था, हम तो दो घण्टे बाद चार बजे सोते !!)
हनुमान जी तो जैसे हमारी ही प्रतीक्षा में थे. वे बोले : ह ह ह, हमें पता था कि तुम आओगे.
राजीव : मतलब !!
हनुमान जी : अरे मजाक कर रहे हैं भाई, हम कोई अंतर्यामी थोड़े ही हैं. ह ह ह.
(हम समझ गये कि इनसे क्या छिपा है)
हनुमान जी : तो क्या सोचा ?
राजीव : अब राम जी से तो मिलना ही है, अब आप ही कोई उपाय बताइये कि क्या किया जाए क्योंकि हम तो सुबह जाग नहीं सकते
और आप के प्रभु रात में नहीं जागेंगे !!
कोई बीच का रास्ता ? आप ही कुछ सुझाएँ !!
हमसे तो नहीं कुछ करते बन रहा है.
हनुमान जी : (कुछ देर तक सोचते रहे फिर बोले) देखो जहां हमारी क्षमता नहीं होती है कि हम कोई कार्य कर पायें, वहाँ हमें दूसरों की सहायता लेनी चाहिए. जैसे हमारे प्रभु ने वानरों की सहायता ली.
राजीव : इसीलिए तो अब राम-पुत्र आपके सम्मुख है प्रभु ! (हमने बीच में ही बात काटी)
हनुमान जी : देखो जब कोई बड़ा बोल रहा हो तो बीच में नहीं बोलते !!
राजीव : जी (यह महसूसा कि ज्यादा बोल गये)
हनुमान जी : देखो तुम्हारी बॉडी-घडी को हम सुधारने की कोशिश तो कर ही सकते हैं.
(हम तिरछी मुस्कान मुस्काये कि जब हम अपना कुछ नहीं कर पाए तो ये ही ही ही)
पर वे समझ गये और रुष्ट होते हुए बोले : तुम मेरा उपहास कर रहे हो !!!
राजीव : नहीं प्रभु, हम तो सोच रहे हैं कि यह एक कठिन कार्य है और हम बहुत ही संघर्ष कर चुके हैं पर कुछ भी नहीं हुआ.
हनुमान जी : इसीलिए तो तुम तुम हो और हम हम. तुम राजीव नन्दन हो और हम अंजनी नन्दन !!
राजीव : (हाँ में सर हिलाते हुए) जी (खुद के छोटे होने का अहसास भी हुआ.)
हनुमान जी : चलो एक सौदा करते हैं तुमको हम एक घंटा पहले जगा दें तो तुम हमें क्या दोगे !!
राजीव : (हम असंभव कहना चाह रहे थे पर हनुमान जी का आत्म-विश्वास देख कर चुप रहना ही उचित समझा.) ( सर झुकाए हुए बोला) आप जो चाहें !!
हनुमान जी : हम चाहते हैं कि तीन काम आप करिये-
१. हिंदी में चार आलेख लिखिए.
२. अंग्रेजी में दो आलेख लिखिए.
३. संस्कृत में एक आलेख लिखिए.
(हमें चक्कर सा आने लगा और इच्छा हुई कि हम वहीं का वहीं मर जाएँ. क्योंकि हम अंग्रेजी में कोई आलेख लिखें ये हमारा बूता नहीं, एक लेख लिखे थे........ दो साल लगा था.
और संस्कृत में तो कभी कुछ लिखा ही नहीं है भाई !!
और हिंदी में १५ दिन में एक आलेख का औसत है !!
और चार-चार आलेख एक ही दिन में !!
असंभव !!
मन में आया कि कहें कि भांग-धतूरा खा लिए हो क्या !! पागल तो नहीं न हो गये हो !!
पर हम चुप रहे.)
हमको एक बार के लिए लगा कि हमारा शोषण हो रहा है !!
हमसे बाल-मजदूरी करवाई जा रही है !!
पर एक मात्र यही द्वार था जिससे थोडा सा प्रकाश आ रहा था.
यानी कि हम एक घंटा पहले २:३० बजे जाग सकते थे पर इतना सब करना पड़ेगा !!
बस भाई लोग अब कल सोमवार को हम ढाई बजे दोपहर में जाग जायेंगे. और बदले में हमारे ब्लॉग पर हलचल भी आपको दिखेगी. अभी जल्दी में हूँ आलेख लिखना है. फिर कल बाद में....
सोमवार को ढाई बजे जागूँगा और संस्कृत का तो ब्लॉग बनाना पड़ेगा !!
क्या लिखूंगा !!
अरे नहीं पहले हिंदी में लिखता हूँ वह सरल रहेगा.
अरे यार अंग्रेजी का क्या होगा बॉस !!
इन्हीं सारी समस्याओं पर विचार करते हुए.........
हम शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर.................

1 comments on "आखिरकार हनुमानजी ने शरीर-घडी को सुधारने का प्रयास किया !!"

  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    June 7, 2010 at 6:50 AM
    बहुत बढ़िया लिखते है आप ,,क्या बात है राजीव जी ,,,,साच केहो सुन लेहु सभी जिन प्रेम कीऔ तिन ही प्रभ पायो,,,,, जय श्री राम


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