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अंततः जीवन में सुबह हुई !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

अंततः हमारे जीवन में सुबह हुई, हालांकि यह सुबह कोई भोर नहीं है पर हम यह कह सकते हैं कि हम सुबह उठे हैं. हा हा हा
अब हम हनुमान जी से हुई अपनी वार्ता की व्याख्या बताने के बजाय सीधे निष्कर्ष बताना चाहेंगे ताकि कार्य शीघ्रता से संपन्न हो सके और हम हनुमान जी की आशाओं पर खरे उतर पायें.
हम अपनी दिनचर्या में आज निम्न सुधार करके हनुमान जी के समक्ष प्रस्तुत थे.
१. दोपहर ११:३० बजे तक उठ जाना.
२. १:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
३. २:०० बजे तक ब्रश करना.
४. २. २:४५ बजे तक चाय पीना.
५. ३:०० बजे तक नहाना.
६. ६:३० बजे तक लंच करना.
७. ७:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- १३ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
प्रत्येक कार्य में एक घंटा सुधार और तीन डिप्स भी बढ़ाई.
अब कल के लिए हमेँ एक घंटा पूर्व उठने का लक्ष्य मिला है.
हनुमान जी : तो कल पुनः एक घण्टे का सुधार.
हम मुदित और आशाओं से भरा हुआ मन लेकर हनुमान जी के सामने से उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

शुक्रवार की एक नवीन सायंकाल.

शुक्रवार की एक नवीन सायंकाल, क्यों !!
नवीन इसलिए क्योंकि अब हम बहुत कुछ पीछे छोड़ आये थे.
हम मंदिर पहुंचे और घंटी बजाई, इस बार हमने अभिवादन में 'जय श्री राम' कहा. हनुमान जी को थोडा माखन लगा रहा था.
हनुमान जी : आओ आओ. पहले बुनिया खिलाओ.
राजीव : अरे बिलकुल क्यों नहीं प्रभु, आपका मैं और बुनिया भी आपकी.
हनुमान जी : अरे तुम भी तो लो !
राजीव : अरे नहीं हम तो खाके आये हैं. आप ही लीजिए.
(पाँच मिनट बाद जब जलपान संपन्न हो चुका था.)
हमने भी दिनचर्या बिना कहे ही निकाल के पकड़ा दी.
हनुमान जी : ह ह ह, अरे हम समझ रहे हैं कि सब अच्छा कर रहे हो. अतः दिखाने की शीघ्रता है, परन्तु हाथ तो पोंछ लेने दो. ह ह ह
(फिर हनुमान जी समय-सारिणी पढते हैं.)
हनुमान जी :
१. दोपहर १२:३० बजे तक उठ जाना.
२. २:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
३. ३:०० बजे तक ब्रश करना.
४. २. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
५. ४:०० बजे तक नहाना.
६. ७:३० बजे तक लंच करना.
७. ८:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- १० डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
हनुमान जी पढ़े और बोले पुत्र तुम बहुत ही आगे जाओगे. तुमने मन प्रसन्न कर दिया है.
राजीव ; तो प्रभु कल के लिए क्या !!
हनुमान जी : तो कल पुनः एक घण्टे का सुधार.
हम मुदित और आशाओं से भरा हुआ मन लेकर हनुमान जी के सामने से उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

हम डेढ़ बजे जागे मित्रों !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

बृहस्पतिवार को हम मंदिर में पहुंचे...घंटी बजाई और नारा बुलंद किया- 'जय बजरंग बली'.
हनुमान जी बोले - आओ आओ. तुम आते हो तो अच्छा लगता है.
हम ठहाका मार के हँसे. तो उन्होंने पूछा कि इसमें हँसने कि क्या बात थी तो हमने उत्तर दिया कि कुछ नहीं अगर हमारी दुष्ट बहन यहाँ पर होती तो वह कहती कि तुम आते हो तो अच्छा लगता है और जाते हो तो और भी अच्छा लगता है. हा हा हा.
हनुमान जी अपनी शैली में हँसे - ह ह ह.
हनुमान जी : बहुत हँसी कर रहे हो, आज बुनिया नहीं लाये हो क्या !!
राजीव : हा हा हा, हमेँ पता था कि आपको याद होगा वो तो हम देख रहे थे कि आप मांगते हैं या नहीं !!
और बताइये कैसी है !! गरम है मजेदार मीठी-रसीली !!
हनुमान जी : ह ह ह, तुमने हमारी कमजोरी पकड़ ही ली है.
राजीव : सब आप की ही कृपा है प्रभु.
हनुमान जी : तो दिनचर्या दिखाइए, आज तो आपको एक घंटा पहले जागना था न !!
राजीव : हाँ, प्रभु और वह भी समस्त कार्यों को सुधारते हुए !! ये लीजिए हमारी आज की सुधरी हुई दिनचर्या. (यह कहते हुए हमने दिनचर्या हनुमान जी की ओर बढ़ाई)
हनुमान जी दिनचर्या को पढते हैं-
हनुमान जी :
१. दोपहर १:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
३. ४:०० बजे तक ब्रश करना.
४. २. ४:४५ बजे तक चाय पीना.
५. ५:०० बजे तक नहाना.
६. ८:३० बजे तक लंच करना.
७. ९:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- ८ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
वाह........वाह......तुमने तो डिप्स भी दो बढाए और सभी कार्य के समय लगभग एक घंटा पहले सुधार लिया है. ह ह ह.
वत्स तुम नहीं जानते तुमने हमेँ कितनी प्रसन्नता दी है. ह ह ह
राजीव : अरे हनुमान जी ! आप नहीं जानते कि आपने हमेँ कितनी प्रसन्नता दी है. हमेँ एक घंटा पहले जगा दिया है और फिर से अभी एक घंटा पहले जगा दिया.
अरे जय बजरंग बलीsssss
अरे जय श्री राssssssम.
(हम तो एक टांग उठाके गोल-गोल घूमने लगे.)
हनुमान जी बोले : बस-बस अब कल एक घंटा पहले उठने के लिए कमर कस लो.
राजीव : बस प्रभु ऐसे ही जगाते रहिये हमारा तो जीवन ही धन्य हो जाएगा.
यह कहकर हम बोले कि प्रभु तो हम चलते हैं.
हनुमान जी : ठीक है संभल के जाना.
हम चौंके कि आज तक तो यह नहीं बोले तो आज क्यों !! क्या मार्ग में किसी होने वाली अनहोनी का संकेत है ये !!
हम यही विचार करते हुए हनुमान जी के सामने से उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

एक और हार पर हनुमान जी का साथ !!

हनुमान जी को वचन दिया था कि हम तीन भाषाओं में सात आलेख लिखेंगे तो वह हमारी दिनचर्या में एक घण्टे का सुधार कर देंगे. पर हम अनुत्तीर्ण हुए. :(
क्या करते !!......
बस एक आलेख लिख पाए वह भी संस्कृत में.
और हार हुआ मुंह लेकर हम हनुमान जी के सामने बुधवार को पहुंचे.
राजीव : जय बजरंग बली !!
हनुमान जी : आओ पुत्र कैसे हो !!
राजीव : हनुमान जी, कल हम दूसरी बार अनुत्तीर्ण हुए हैं. पिछली बार निराश हुए तो ४-५ दिन तक मंदिर ही नहीं आये थे पर इस बार हम आप से ही इस समस्या का हल जानना चाहते हैं !!
आप ही बताइये कि जब एक ही दिन में सात आलेख लिख पाने की हमारी क्षमता ही नहीं है तो कैसे हम कर पायेंगे ?
हनुमान जी : लाओ समय-सारिणी तो दिखाओ !!
राजीव : हाँ जी, लीजिए.
(हमने अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढाते हुए ताज़ी गरमा-गरम बुनिया भी बगल में रख दी.)
अरे करना पड़ता है मित्रों !! ऐसे ही हनुमान जी से बात नहीं हो जाती है !!
हनुमान जी दिनचर्या को पढते हैं-
हनुमान जी :
१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
३. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
४. २. ५:४५ बजे तक चाय पीना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. ९:३० बजे तक लंच करना.
७. १०:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- ६ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
(हनुमान जी पढकर मुस्कुराए) ह ह ह, हम खुश हुए, तुमने अपना कार्य ईमानदारी(सच्चरित्रता) से किया है. तुमने कल ३ डिप्स किये थे और आज ६ किये हैं, यानि कि दूना प्रयास.
और सबसे बड़ी बात ये कि तुमने बेड-टी की आदत भी सुधार ली है, जो अभी कल भी दिख रही थी और तुम्हारी दिनचर्या में वापस आ गयी थी !!
हम तुम्हें थोड़ी सी ढील देना चाहेंगे. तुम कल से कोई आलेख मत लिखना !!
( यह सुनके एक बार तो हमको विश्वास ही नहीं हुआ, एक पल को यह भी लगा कि कहीं हनुमान जी नाराज़ तो नहीं न हो गये !!)
हनुमान जी : हम तुम्हें एक घंटा पहले कल जगा देंगे पर तुम्हें अपनी दिनचर्या के हर काम का समय सुधार करना होगा.
राजीव : हम तो यही चाहते ही थे जी !! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हनुमान जी !!
हम एक घंटा पहले जागने का लक्ष्य लेकर हनुमान जी के सामने से उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

मंगलवार का हनुमान-दर्शन.

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

बड़ा दिन हुआ बड़के भईया से मिले यह सोच के हम पुनः मंगलवार को मंदिर में पहुंचे और जय बजरंग बलि का उद्घोष किया.
प्रभु रुष्ट दिखे.......
कुछ बोले नहीं.....
हमने क्षमा-प्रार्थना की और कहा कि प्रभु मान जाइए. हम पद्म.....
(हनुमान जी हमारी बात काटते और वाक्य पूरा करते हुए बोले : ......भईया के साथ सहारा गंज घूम रहे थे, न !!
(हम तिरछी मुस्कान मारते हुए सोचे
कि इनसे झूठ बोलना संभव नहीं है ये तो अंतर्यामी हैं, सच बोल ही दो.) : अरे अलसा गये थे, स्वामी !
हनुमान जी : तो प्रभु से तो अब मिलना नहीं है !!
राजीव : अरे क्यों नहीं मिलना है ! बिलकुल मिलना है. और चलिए हम अपनी दिनचर्या लेकर आये हैं.
हनुमान जी : तो दिखाइए !
राजीव : ये देखिये-
(हनुमान जी पढते हैं)
हनुमान जी :
१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. ९:३० बजे तक लंच करना.
७. १०:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- ३ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
मतलब कि बाबू कोई सुधार नहीं !!
राजीव : अब आपके समक्ष हूँ, आप ही देखिये.
हनुमान जी : हम क्या देखें !!
हमने तो आपसे कहा है कि तीन भाषाओं में सात आलेख लिखिये और एक घंटा अपनी दिनचर्या में सुधारिये.
राजीव : (कुछ विचारते हुए) : चलिए तो फिर ठीक है. हम आपसे कल मिलते हैं सात आलेखों के साथ.
हमारी आँखों में एक सुनहरी चमक थी. हम आत्मविश्वास से भरा हुआ ह्रदय लेकर शांतिपूर्वक उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

हनुमान जी से कोई दण्ड नहीं मिला और हम बच गये !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

हम सच में इतने बुरे हैं कि हनुमान जी का सुविचार भी नष्ट कर दिए !!
अरे भाई, बेड-टी नहीं छोड़ पाए, और क्या कहें !!
हनुमान जी क्षमा करिये, कल पक्का सुधार लेंगे.
हनुमान जी : बस तुमसे एक काम कहा था वह भी ठीक से नहीं कर पाए !!
राजीव : अब क्या करें, आपने कहा था कि रात को दबाके खाना, सुबह निकालना.....
पर सब रात में ही निकल गया.........
सुबह के लिए कुछ बचा ही नहीं !!
अब कल सुधार का यही प्रयास रहेगा.
कल बेड-टी छोड़ी जायेगी.
हनुमान जी : लाओ अच्छा दिनचर्या तो दिखाओ !!
राजीव : जी, ये लीजिए.
(हनुमान जी पढते हैं)
हनुमान जी :
१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. ९:३० बजे तक लंच करना.
७. १०:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- ३ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
मतलब कि डिप्स ही बस बढ़ी है, वह भी बस २ !!
बाकी कोई सुधार नहीं !!
अरे हनुमान-भक्त हो यार !
थोडा बल-बुद्धि लगाओ !
हम समझ गये कि समय जैसे ठहर रहा है और हमेँ आंधी सी लानी है यानि कि तीव्रगति से कार्य करना होगा.
हम शनिवार का लक्ष्य लेकर ह्रदय में विचार करते हुए शांतिपूर्वक उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

और हनुमान जी ने बेड-टी छीन ली !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

कल जब हम मंदिर से लौटे तो मन में एक बात घूम रही थी कि ये व्यायाम कैसे प्रारम्भ किया जाय. इसी उधेड़बुन में में हम सो गये और आज सुबह यानी दोपहर को जागने के बाद अपनी दिनचर्या में हमने इक्सरसाइज जोड़ ही लिया और दिनचर्या का नया लेखा-जोखा हनुमान जी के मुंह से स्वयं सुनें.
१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. ९:३० बजे तक लंच करना.
७. १०:३० बजे तक इक्सरसाइज़ करना- १ डिप्स.
८. ११:०० बजे तक डिनर करना.
ह ह ह एक डिप्स........
बस.......
हो गया मुन्ना........
इत्ते में ही चूर हो गये !!!
पांच-पांच साल के लौंडे दिन में हज़ार-हज़ार डिप्स कर रहे हैं और तुम से बस एक डिप्स हुई !!!!!!!
(हमारे चेहरे पर बस हवाईयां उड़ रही थीं और हम कुछ भी नहीं कर सकते थे.)
बेटा अभी बहुत ही सुधार की जरूरत है जी.
कल आप हर हालत में ये डिप्स की संख्या बढ़ाइये भले ही एक बढे पर बढे.
और ये चाय आप सुबह गंदे मुंह कैसे पी लेते हो यार !!!!
हिन्दू हो कि इसाई !!!!
राजीव : हनुमान जी क्या करें बिना चाय पिए कुछ होता ही नहीं है !!!!!!
आप ही कुछ सुझाएँ प्रभु !!
हनुमान जी : ऐसा करो कि तुम घर जाके खूब दबा के खाना और थोडा टहल भी लेना. खाना पच जाएगा....
फिर सुबह उठते ही मेरा मतलब है कि जब उठना इंतज़ार करना........ देखना होगा.
अरे आजमाया हुआ है जी, कोई मजाक की बात नहीं है.
और कल से चाय ब्रश करने के बाद ही पीयोगे और बिना ब्रश किये कुछ भी मुंह में नहीं जाएगा. समझे !!!
राजीव : जी, समझ गया.
हम शुक्रवार का लक्ष्य लेकर ह्रदय में विचार करते हुए शांतिपूर्वक उठे......
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और मंदिर के बाहर................

आगे भी है अभी........

आज हनुमान जी का चेला बना !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

बुधवार की शाम हम पुनः मंदिर में हनुमान जी के सम्मुख उपस्थित थे.
फिर वही हाल-चाल हुई और फिर हमने अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढ़ाई.
हनुमान जी : ह ह ह लाओ भाई देखें क्या हुआ तुम्हारा !!
और हनुमान जी दिनचर्या पढ़ने लगे-

१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ६:०० बजे तक नहाना.
६. १०:०० बजे तक लंच करना.
७. ११:०० बजे तक डिनर करना.
अच्छा एक बात बताओ. कल तुम्हारे जाने के बाद हमने दो पुजारियों को तुम पर टिप्पणी करते हुए सुना कि ये तो हनुमान जी का चेला है ! तुम बताओ तुम क्या सोचते हो इस बारे में !!
राजीव : (मुस्कुराते हुए) प्रभु ! इसमें गलत क्या है !
मैं तो हूँ ही आप का दास.
हमारा खुद के जागने का समय सुधार पाना असंभव था पर आप ने पूरे एक घण्टे सुधार कर दिया है. मैं तो ऋणी हूँ आप का.
हनुमान जी : तो यह दिखना भी तो चाहिये !
राजीव : प्रभु ! हम समझे नहीं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं !
हनुमान जी : देखो एकदम सूखे से हो तुम्हें हृष्ट-पुष्ट दिखना चाहिये. बलिष्ठ दिखो हमारी तरह तब तो कोई बात है. राम जी के सामने ऐसे ही पहुँच लोगे तो मेरी क्या इज्जत रह जायेगी.
राजीव : मतलब !
हनुमान जी : अरे यार, तुम मतलब बहुत पूछते हो. कुछ व्यायाम भी किया करो, दंड-बैठक आदि.
राजीव : जी प्रभु ! (हम समझ गये कि कल से हमारी दिनचर्या में व्यायाम भी जुडना चाहिये.)
हम बृहस्पतिवार का लक्ष्य लेकर ह्रदय में विचार करते हुए शांतिपूर्वक उठे......
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आगे भी है अभी........

हमारी सोमवार की विजय और मंगलवारीय उत्सव

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

मंगलवार का दिन और हमारी विजय का भी...
अरे कल हम आलेख लिखने में सफल रहे पूरे सात आलेख वो भी तीन-तीन भाषाओँ में.
और हाँ, हम ढाई बजे जागे भी.
सच में हनुमान जी महान हैं.
अब हम एक नयी दिनचर्या के साथ हनुमान जी के सामने थे.

१. २:३० बजे तक उठ जाना.
२. ३:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ४:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ५:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ७:०० बजे तक नहाना.
६. ११:०० बजे तक भोजन करना.
हनुमान जी इसे पढ़े और हँसे : ह ह ह अभी बहुत ही सुधार की जरूरत है.
अब आप हमारी एक सलाह मानेंगे !!
राजीव : अरे कैसे नहीं मानेंगे ! आखिर आप ने हमेँ एक घंटा पहले जगाया है. हम तो आपके दास हुए प्रभु.
हनुमान जी : अभी आप ढाई बजे ही जागिये और अन्य बातों को सुधारिये.
राजीव : जैसे ?
हनुमान जी : जैसे कि दो बार भोजन करिये. :)
राजीव : जी.
हम मंगलवार का लक्ष्य लेकर ह्रदय में विचार करते हुए शांतिपूर्वक उठे......
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आखिरकार हनुमानजी ने शरीर-घडी को सुधारने का प्रयास किया !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

हारने का तो हो ही नहीं रहा है, अपने बाप से मिलना है तो ये( सुबह जागने) कष्ट भी तो उठाना ही पड़ेगा !!
कोई बीच का रास्ता तो निकालना ही पड़ेगा !!
यही सोच कर हम रात के दो बजे मंदिर पहुंचे और देखा कि हनुमान जी की पूंछ हिल रही थी. मतलब कि जगे हुए थे !!
दो बजे जगे हुए थे !!
(अरे हमारा क्या था, हम तो दो घण्टे बाद चार बजे सोते !!)
हनुमान जी तो जैसे हमारी ही प्रतीक्षा में थे. वे बोले : ह ह ह, हमें पता था कि तुम आओगे.
राजीव : मतलब !!
हनुमान जी : अरे मजाक कर रहे हैं भाई, हम कोई अंतर्यामी थोड़े ही हैं. ह ह ह.
(हम समझ गये कि इनसे क्या छिपा है)
हनुमान जी : तो क्या सोचा ?
राजीव : अब राम जी से तो मिलना ही है, अब आप ही कोई उपाय बताइये कि क्या किया जाए क्योंकि हम तो सुबह जाग नहीं सकते
और आप के प्रभु रात में नहीं जागेंगे !!
कोई बीच का रास्ता ? आप ही कुछ सुझाएँ !!
हमसे तो नहीं कुछ करते बन रहा है.
हनुमान जी : (कुछ देर तक सोचते रहे फिर बोले) देखो जहां हमारी क्षमता नहीं होती है कि हम कोई कार्य कर पायें, वहाँ हमें दूसरों की सहायता लेनी चाहिए. जैसे हमारे प्रभु ने वानरों की सहायता ली.
राजीव : इसीलिए तो अब राम-पुत्र आपके सम्मुख है प्रभु ! (हमने बीच में ही बात काटी)
हनुमान जी : देखो जब कोई बड़ा बोल रहा हो तो बीच में नहीं बोलते !!
राजीव : जी (यह महसूसा कि ज्यादा बोल गये)
हनुमान जी : देखो तुम्हारी बॉडी-घडी को हम सुधारने की कोशिश तो कर ही सकते हैं.
(हम तिरछी मुस्कान मुस्काये कि जब हम अपना कुछ नहीं कर पाए तो ये ही ही ही)
पर वे समझ गये और रुष्ट होते हुए बोले : तुम मेरा उपहास कर रहे हो !!!
राजीव : नहीं प्रभु, हम तो सोच रहे हैं कि यह एक कठिन कार्य है और हम बहुत ही संघर्ष कर चुके हैं पर कुछ भी नहीं हुआ.
हनुमान जी : इसीलिए तो तुम तुम हो और हम हम. तुम राजीव नन्दन हो और हम अंजनी नन्दन !!
राजीव : (हाँ में सर हिलाते हुए) जी (खुद के छोटे होने का अहसास भी हुआ.)
हनुमान जी : चलो एक सौदा करते हैं तुमको हम एक घंटा पहले जगा दें तो तुम हमें क्या दोगे !!
राजीव : (हम असंभव कहना चाह रहे थे पर हनुमान जी का आत्म-विश्वास देख कर चुप रहना ही उचित समझा.) ( सर झुकाए हुए बोला) आप जो चाहें !!
हनुमान जी : हम चाहते हैं कि तीन काम आप करिये-
१. हिंदी में चार आलेख लिखिए.
२. अंग्रेजी में दो आलेख लिखिए.
३. संस्कृत में एक आलेख लिखिए.
(हमें चक्कर सा आने लगा और इच्छा हुई कि हम वहीं का वहीं मर जाएँ. क्योंकि हम अंग्रेजी में कोई आलेख लिखें ये हमारा बूता नहीं, एक लेख लिखे थे........ दो साल लगा था.
और संस्कृत में तो कभी कुछ लिखा ही नहीं है भाई !!
और हिंदी में १५ दिन में एक आलेख का औसत है !!
और चार-चार आलेख एक ही दिन में !!
असंभव !!
मन में आया कि कहें कि भांग-धतूरा खा लिए हो क्या !! पागल तो नहीं न हो गये हो !!
पर हम चुप रहे.)
हमको एक बार के लिए लगा कि हमारा शोषण हो रहा है !!
हमसे बाल-मजदूरी करवाई जा रही है !!
पर एक मात्र यही द्वार था जिससे थोडा सा प्रकाश आ रहा था.
यानी कि हम एक घंटा पहले २:३० बजे जाग सकते थे पर इतना सब करना पड़ेगा !!
बस भाई लोग अब कल सोमवार को हम ढाई बजे दोपहर में जाग जायेंगे. और बदले में हमारे ब्लॉग पर हलचल भी आपको दिखेगी. अभी जल्दी में हूँ आलेख लिखना है. फिर कल बाद में....
सोमवार को ढाई बजे जागूँगा और संस्कृत का तो ब्लॉग बनाना पड़ेगा !!
क्या लिखूंगा !!
अरे नहीं पहले हिंदी में लिखता हूँ वह सरल रहेगा.
अरे यार अंग्रेजी का क्या होगा बॉस !!
इन्हीं सारी समस्याओं पर विचार करते हुए.........
हम शांतिपूर्वक उठे......
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आगे भी है अभी........

आज हनुमान जी से लड़ के घर आया हूँ !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

कल घर लौट कर हमने सोचा कि हम भी कभी-कभी कितनी बड़ी-बड़ी त्रुटियाँ कर जाते हैं.
समय-सारिणी बना-बना कर इतने दिनों से रोज-रोज चले आ रहे हैं, एक बार भी ये न सोचा कि समय-सारिणी में तो समय ही नहीं है !
हद हो गयी बेवकूफी की !
अब आज समय हमने जोड़ लिया है अब जो होगा देखा जाएगा. अंततः निर्णय हनुमान जी को ही लेना है.
चलिए....
होइहें सोई जो राम रची राखा|
को करी तर्क बढ़ावे शाखा ||
अब हम मंदिर के द्वार पर थे, पीतल के लटक रहे बड़े से घंटे को जोर से बजाया, जैसे मन ही मन घंटे से कह रहे थे कि हम खुदहने घंटा हो गये हैं और हनुमान जी बजा रहे हैं. हा हा हा.
(अन्दर हनुमान जी की आँख खुली...पता नहीं घंटी बजाने से या मेरे हँसने से. :).....)
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हनुमान जी बोले- घंटा थोडा धीरे बजाय करो, हम चौंक जाते हैं....ह ह ह.
तुम्हारे बजाने के अंदाज से लगा कि हमसे नाराज़ हो !!
हमने कहा : नहीं ऐसा कुछ नहीं वह घण्टे पर हाथ थोडा सा तेज पड़ गया था. :P
फिर हमने दिनचर्या...नहीं-नहीं समय-सारिणी उनकी ओर बढ़ाई और....
कहा : आज तो समय-सारिणी में समय है प्रभु.
अब आप को समय-निर्धारण में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
(हनुमान जी को यह बात शायद बुरी लग गयी.)
हनुमान जी : अच्छा जी, हम सारी दुनिया के संकट-मोचक और हमारी समस्या आप दूर कर रहे हैं ! भई बहुत खूब !
(हम डर गये कि हमारे साथ ये क्या हो रहा है, हमारी हर बात का कोई न कोई गलत अर्थ निकाल ले रहा है !
बड़ी समस्या है यार !!)
हनुमान जी हमारी दिनचर्या पढते हुए....
१. ३:३० बजे तक उठ जाना.
२. ४:४५ बजे तक चाय पीना.
३. ५:१० बजे तक लैट्रिन जाना.
४. ६:०० बजे तक ब्रश करना.
५. ८:०० बजे तक नहाना.
६. ११:०० बजे तक भोजन करना.
वे पन्ना पलटे..
और बाकी का.....!!
राजीव : बस हो गया !......... बाकी और क्या !
हनुमान जी : अरे बाकी की दिनचर्या.... !!
ये तो लंच तक ही हुई ना... !!
बाकी की आधी दिनचर्या कहाँ है ?
राजीव : हमने कहा कि यही डिनर है और यही लंच है, प्रभु.
हनुमान जी : मतलब !
राजीव : मतलब सरजी देखिये दोपहर ३:३० बजे जब सोकर उठे तो लंच काहे का.... !!
एक ही बार खाया है वह भी रात को.
अब आप उसे लंच कहिये या डिनर आपका मन !!
क्या आप दोपहर को सोकर उठते हैं ????????????
और सोते कब हैं ????????
राजीव : वही रात को ३-४ बजे के आस-पास.
हनुमान जी : आप को पता है....जब आप सोने जाते हैं तब हमारे प्रभु सोकर उठते हैं.
आप सुबह के चार बजे सोने जाते हैं और हमारे प्रभु सुबह के चार बजे सोकर उठते हैं !!
इसीलिए आपको प्रभु नहीं मिल पा रहे हैं.
और हम क्या मिलवा दें आपको !!
जिस समय हम आपको चलने को कहेंगे आप उस समय सोये पड़े रहेंगे !!
क्षमा कीजिए आप प्रभु से नहीं मिल सकते !
राजीव : पर क्यों नहीं मिल सकते ?
हनुमान जी : क्योंकि समय आपके पास नहीं है....
राजीव : अरे कैसे नहीं है कोई तो समय होगा जब हम दोनों ही जगे रहते हों !
हनुमान जी : बस अब क्या कहना आगे जब आपके पास अपने लिए ही समय नहीं है.
राजीव : अरे आप किसी बात कर रहे हैं !
समय कैसे नहीं है !
हनुमान जी : आप सुबह जाग पायेंगे !
हमारे प्रभु जी सुबह ही मिलते हैं.
राजीव : इतनी अकड है आपके प्रभु को तो हमें नहीं मिलना है........
चलते हैं जय राम जी की.
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हम शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर.................

आगे भी है अभी........

समय-सारिणी में समय कहाँ है !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

कल हनुमान जी ने हमें लगभग तिरस्कृत करते हुए चले जाने को कहा था क्योंकि हम स्नान किये बिना ही मंदिर में गये थे और दस दिन से नहीं नहाये थे.
सही बात है ऐसे गंदे व्यक्ति को राम-दर्शन !!!
हनुमान जी ने ठीक किया कि मुझे मंदिर से निकाल दिया था.
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अब उसका परिणाम ये हुआ है कि हमने विचारा और यह संकल्प लिया कि चाहे गर्मी हो, जाड़ा हो या बरसात रोज नहा ही लेंगे.
यह शपथ ली है.
हम तो चाहते थे कि यह शपथ लें कि उठते ही पहले नहा लें....... फिर कुछ और करें.
पर लगा कि जोश में कुछ ज्यादा न हो जाए. :)

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अब आज स्नान करके हम अपनी नवीनतम परिवर्धित, परिष्कृत, परिमार्जित दिनचर्या के साथ हनुमान जी के समक्ष प्रस्तुत थे.

हमने मंदिर की घंटी बजाई और आज मन में शुचिता का भाव कल की अपेक्षा ज्यादा ही था शायद नहाने से जन्मा था. :)
खैर, हमने मंदिर में प्रवेश किया....
हनुमान जी के पैर छुए और बिना कुछ कहे अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढ़ाई.
हनुमान जी फिर से वही हंसी हँसे : ह ह ह, लाओ देखें क्या सुधार हुआ !
आज नहाये ?
हम मुस्काए और उत्तर दिया : जी.
वे दिनचर्या पढ़ने लगे.
१. उठना.
२. चाय पीना.
३. लैट्रिन जाना.
४. ब्रश करना.
५. स्नान करना.
६. भोजन करना.
ह ह ह...ये क्या है ! इसे ही दिनचर्या कहेंगे ? दिनचर्या को अगर दूसरे शब्द में कहना चाहें तो !!
राजीव : तो ? मैं समझा नहीं !!
हनुमानजी : अरे एक पर्यायवाची बताइये !
राजीव : (हम मुस्काए, ये क्या बेवकूफी है. मेरी हिंदी का टेस्ट ले रहे हैं क्या !!) हमने उत्तर दिया समय-सारिणी.
हनुमान जी जैसे यही सुनना चाह रहे थे. वही अपनी ह ह ह वाली हंसी हँसते हुए बोले : बिलकुल सही अब इसकी अंग्रेजी क्या होगी !!
हम थोडा सा मन ही मन खीझ गये कि अरे चलना कब है यह बताने कि बजाय ये इंटरव्यू लेके क्या आई.ए.एस. बनवा देंगे क्या !! हिंदी में बताओ और अंग्रेजी में बताओ....हां नहीं तो....!!
पर कर भी क्या सकते थे, अतः बोलना पड़ा...
राजीव : टाइम-टेबल.
यह सुनते ही हनुमान जी का चेहरा चमक उठा. वे बोले : बिलकुल सही, वत्स. तुम बुद्धिमान हो.
राजीव : वो तो हूँ ही, पर चलना कब है, महाराज ?
हनुमान जी : अरे पहले टाइम-टेबल तो देख लेने दो....
राजीव : देखिये, देखिये. पर ज़रा जल्दी करिये. (हम व्यग्र हो रहे थे.)
हनुमान जी : एक बात बताइये क्या ये समय-सारिणी या टाइम-टेबल कही जा सकती है ?
राजीव : जी बिलकुल. (हमारा आत्म-विश्वास अपने चरम पर था.)
हनुमान जी : इसमें समय या टाइम जैसी चीज हमें तो नहीं दिख रही है, ज़रा दिखलाइयेगा.
यह सुनकर हमारी स्थिति तो ठीक वैसी थी जैसी उस लड़के की होती है जो विज्ञान के प्रश्न-पत्र को हल करने के लिए सामाजिक विषय की पर्ची लेके परीक्षा-भवन में पहुँचा है !!! काटो तो खून नहीं मालिक, वो हाल था.
यह महसूस करते हुए कि कहीं कुछ भारी भूल हुई है.
हम शांतिपूर्वक उठे......
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.घूमे.
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और मंदिर के बाहर.................

आगे भी है अभी........

हनुमानजी ने पूछा : आप पिछली बार कब नहाये थे !

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

आज हम पुनः हनुमान जी के सम्मुख खड़े थे. और इस बार हमारे चेहरे पर कुछ ज्यादा ही चमक थी. ये चमक हनुमान जी को पराजित करने की थी कि कल इन्होने हमें ले जाने से अडंगा लगा दिया और आज हमने उस बाधा को पार कर लिया.
हमारे हाथ में हमारी दिन-चर्या थी और चेहरे पर विजयी मुस्कान.
हमने हनुमान जी की ओर एक पन्ना बढ़ाया, जो हमारी दिन-चर्या का पन्ना था.
उसे देख कर हनुमान जी बोले : ये क्या !
राजीव : अडंगा.....मेरा मतलब है मेरी दिनचर्या है प्रभु जी. अब आप देखिये और कब चलना है यह निर्णय लीजिए.
हनुमान जी मेरा टाइम-टेबल पढ़ने लगे और हम बतासा उठा के खाने लगे.
हनुमान जी : १. उठना.
२. चाय पीना.
३. लैट्रिन जाना.
४. ब्रश करना.
५. भोजन करना.
बस्स ! ये क्या है !
राजीव : दिनचर्या है और क्या !
हनुमान जी : ये आपके सारे कार्यों की सूची है ?
राजीव : हाँ और क्या !
हनुमान जी : यानी आप नहाये नहीं हैं !
राजीव : नहीं, पर रोज-रोज कौन नहाता है, पानी की इतनी समस्या है...आप तो जानते ही हैं. (हम मुस्काए) आप तो अंतर्यामी हैं.
हनुमान जी का चेहरा बता नहीं पा रहा हूँ और उनके मन में क्या चल रहा था यह तो सोच भी नहीं सकता. वे बोले :
(मेरा टाइम-टेबल पकडाते हुए) ये लीजिए और कल से आप नहीं आयेंगे और यदि आयेंगे तो स्नान करके ही आयेंगे.
हे राम ! घोर कलियुग आ गया है. लोग बिना स्नान के ही मंदिर में घुस जाते हैं !!
आप कल भी नहीं नहाये होंगे ?
राजीव : नहीं.
हनुमान जी : हे राम ! छिः-छिः.....
आप पिछली बार कब नहाये थे !
राजीव :(कुछ लजाते और सकुचाते हुए) २६ अप्रैल.
हनुमान जी : १० दिन पहले !!!!!!!!!!!!
हे प्रभु ! (ऐसा कहकर उन्होंने अपना माथा पकड़ लिया)कल से आप नहीं आयेंगे और यदि आयेंगे तो स्नान करके ही आयेंगे.
राजीव : (यह महसूस करते हुए कि कहीं कुछ भारी भूल हुई है) जी.......... ठीक है.
हम शांतिपूर्वक उठे......
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और मंदिर के बाहर.................

आगे भी है अभी........

हमारी दिनचर्या क्या है !?

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

अब हनुमान जी से मिलकर श्री राम जी के पास जाने का समय आ गया. मैं ठीक साढ़े आठ बजे मंदिर की घंटी बजाते हुए मन्द स्मित के साथ हनुमान जी के समक्ष खडा था.
राजीव : प्रणाम हनुमानजी.
हनुमान जी ने अपनी तेजस्वी आँखें खोली और मुझे देखा. हमारे चेहरे की मुस्कान थोड़ी और बड़ी हो गयी.
हनुमान जी : आयुष्मान भवः वत्स. और कैसे हो ?
राजीव : मैं मजे में हूँ आप सुनाइये !!
हनुमान जी हलके से हँसे और बोले : मेरा क्या है.... ह ह ह
राजीव : हाँ आपका क्या है....... हा हा हा !! ( हमारी हंसी उनकी हंसी कि डबल थी )
हनुमान जी : तो कैसे आना हुआ ?
राजीव : (चौंकते हुए) कैसे आना का क्या मतलब ! राम जी के यहाँ चलना है न !
हनुमान जी : इस समय रात्रि के इस प्रहर में !
राजीव : क्यों क्या हुआ अभी तो आठ पैंतीस ही हो रहे हैं. और करना क्या है छन् से आँखें बंद करिये और छन् से प्रभु के समक्ष ! (यह कहकर हमारे चेहरे पर मुस्कान सी आई )
हनुमान जी : इस समय प्रभु खाली नहीं रहते. आपको दिन में आना चाहिए था, हम लोग दिन में चलते.
कल दिन में आइये, कल ही चलते हैं !
राजीव : (नकली गुस्से के साथ) अच्छा जी तो आप टाल रहे हैं !
हनुमान जी : अरे आप दिन में क्या कर रहे थे ! अपनी दिनचर्या बताइये ?
हम चुप रहे.....और एक लंबी ख़ामोशी सी छा गयी....
हनुमान जी : बोलिए....कब जागते हैं ! आपकी दिनचर्या क्या है ?
हम फिर खामोश रहे......
बस यही सोचते रहे कि हमारी दिनचर्या क्या है !!!!
देखिये आज आप घर जाइए और अपनी दिनचर्या बनाकर कल दिखाइए ताकि हम राम जी से मिलने का समय आपकी और प्रभु की सुविधानुसार निकाल सकें.
हम शांतिपूर्वक उठे......
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और मंदिर के बाहर.................
बस एक ही प्रश्न मन को मथ रहा था कि हमारी दिनचर्या क्या है !?!?!?!!?!?
सच बताएं तो हमने कभी इस पर सोचा ही नहीं था और न ही कभी इस पर गौर किया था. यही कारण था कि हम कुछ बोल नहीं पाए.
और न बता पाने से हम लज्जित हुए.
बस खुद से यही कह रहे हैं कि हमें अपनी दिनचर्या का ज्ञान तो होना ही चाहिए. अब कल अपनी दिनचर्या बनाकर हनुमान जी को दिखाऊंगा फिर समय निकाला जाएगा राम जी से मिलने का.
फिर कल मिलते हैं तब तक के लिए जय श्री राम.

आगे भी है अभी........

हनुमान जी से मुलाकात

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

आज मैं हनुमान सेतु पहुँचा. (हनुमान सेतु, गोमती पुल, लखनऊ, उत्तर-प्रदेश, भारतवर्ष)
और मंदिर के द्वार पर पहुँचा...
दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. एक ही सवाल मन में हज़ारों बार कौंध रहा था कि अगर हनुमान जी ने ले जाने से मना कर दिया तो ?
और उत्तर...! (अब उत्तर क्या खुद ही थोड़े न मिलने वाला है.)
उत्तर तो हनुमान जी को ही देना है.
मंदिर के बाहर चप्पल उतारा, फिर कुछ सोचके बाहर आया और एक पाँव बूंदी ली (घूस..मालिक !) सोचा कि चढावा देख के कुछ तो पिघलेंगे बानर महाराज :)
और जैसा सोचा था वैसा ही हुआ हनुमान जी हमें राम तक ले जाने को तैयार हो गये. हुर्रे
हनुमान जी ने पूछा कि कब चलोगे ?
हमने कहा- ऐसा है कि कल चलते हैं, कल बुधवार है.
रामजी कल हमसे मिलके प्रसन्न होंगे.
अब कल दोपहर में फिर जायेंगे.
मज़ा आएगा.
कल फिर आपको बताएँगे कि क्या राम मिले और राम ने हमसे क्या-क्या कहा !
जय श्री राम.

आगे भी है अभी........

दर्शन दो मेरे राम !

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राम अब और नहीं सहा जाता !
तुम्हें देखना चाहता हूँ प्रभु !
एक बार और दर्शन दे दो.
इस जीवन की बस यही अंतिम अभिलाषा है और कुछ भी नहीं चाहिए.
क्या एक और बार दर्शन नहीं दे सकते !
क्या मुझ प्यासे को तुम तृप्त नहीं करोगे !
ठीक है तुम नहीं आओगे तो मैं ही आ जाता हूँ तुम तक. :)
मतलब तो बस दर्शन से ही है न !
क्या करूँ तुम्हारा पता तो नहीं मालूम है किससे पूछूं कि तुम्हारा निवास कहाँ पर है और कैसे तुम तक पहुंचूं !
हाँ, हनुमान जी (वाह, क्या विचार आया है और कमाल की बात है कि आज मंगलवार भी है.)
ये आदमी काम का लग रहा है. ये मुझे श्रीराम तक ले जाएगा.
आ रहा हूँ हनुमान !

आगे भी है अभी........