दर्शन दो मेरे राम !
ब्लॉग-लेखक
Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji
द्वारा.
5:38 AM
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मेरी इच्छा
राम अब और नहीं सहा जाता !
तुम्हें देखना चाहता हूँ प्रभु !
एक बार और दर्शन दे दो.
इस जीवन की बस यही अंतिम अभिलाषा है और कुछ भी नहीं चाहिए.
क्या एक और बार दर्शन नहीं दे सकते !
क्या मुझ प्यासे को तुम तृप्त नहीं करोगे !
ठीक है तुम नहीं आओगे तो मैं ही आ जाता हूँ तुम तक. :)
मतलब तो बस दर्शन से ही है न !
क्या करूँ तुम्हारा पता तो नहीं मालूम है किससे पूछूं कि तुम्हारा निवास कहाँ पर है और कैसे तुम तक पहुंचूं !
हाँ, हनुमान जी (वाह, क्या विचार आया है और कमाल की बात है कि आज मंगलवार भी है.)
ये आदमी काम का लग रहा है. ये मुझे श्रीराम तक ले जाएगा.
आ रहा हूँ हनुमान !
2 comments on "दर्शन दो मेरे राम !"
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