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दर्शन दो मेरे राम !

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

राम अब और नहीं सहा जाता !
तुम्हें देखना चाहता हूँ प्रभु !
एक बार और दर्शन दे दो.
इस जीवन की बस यही अंतिम अभिलाषा है और कुछ भी नहीं चाहिए.
क्या एक और बार दर्शन नहीं दे सकते !
क्या मुझ प्यासे को तुम तृप्त नहीं करोगे !
ठीक है तुम नहीं आओगे तो मैं ही आ जाता हूँ तुम तक. :)
मतलब तो बस दर्शन से ही है न !
क्या करूँ तुम्हारा पता तो नहीं मालूम है किससे पूछूं कि तुम्हारा निवास कहाँ पर है और कैसे तुम तक पहुंचूं !
हाँ, हनुमान जी (वाह, क्या विचार आया है और कमाल की बात है कि आज मंगलवार भी है.)
ये आदमी काम का लग रहा है. ये मुझे श्रीराम तक ले जाएगा.
आ रहा हूँ हनुमान !

2 comments on "दर्शन दो मेरे राम !"

  • Jayram Viplav जी कहते हैं...
    May 11, 2010 at 7:20 AM
    " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,

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  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    June 3, 2010 at 7:43 AM
    राजीव जी आपका श्री राम जी के प्रति अटूट प्यार ही आपको उन तक पहुंचाएगा क्योकि [मोहबब्त में ये लाजिम है के जो कुछ है वो फ़िदा करदे,मोहबब्त में ये ताकत है की बन्दे को खुदा करदे.] bcoz love is god , god is love;; वो खुदा का भी खुदा है जिसपे आ जाता है दिल,,मेरा यार मेरा प्यार मेरा खुदा है राम;;;;;;;;;;दर्शन दो मेरे राम;


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