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हनुमान जी से मुलाकात

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आज मैं हनुमान सेतु पहुँचा. (हनुमान सेतु, गोमती पुल, लखनऊ, उत्तर-प्रदेश, भारतवर्ष)
और मंदिर के द्वार पर पहुँचा...
दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. एक ही सवाल मन में हज़ारों बार कौंध रहा था कि अगर हनुमान जी ने ले जाने से मना कर दिया तो ?
और उत्तर...! (अब उत्तर क्या खुद ही थोड़े न मिलने वाला है.)
उत्तर तो हनुमान जी को ही देना है.
मंदिर के बाहर चप्पल उतारा, फिर कुछ सोचके बाहर आया और एक पाँव बूंदी ली (घूस..मालिक !) सोचा कि चढावा देख के कुछ तो पिघलेंगे बानर महाराज :)
और जैसा सोचा था वैसा ही हुआ हनुमान जी हमें राम तक ले जाने को तैयार हो गये. हुर्रे
हनुमान जी ने पूछा कि कब चलोगे ?
हमने कहा- ऐसा है कि कल चलते हैं, कल बुधवार है.
रामजी कल हमसे मिलके प्रसन्न होंगे.
अब कल दोपहर में फिर जायेंगे.
मज़ा आएगा.
कल फिर आपको बताएँगे कि क्या राम मिले और राम ने हमसे क्या-क्या कहा !
जय श्री राम.

2 comments on "हनुमान जी से मुलाकात"

  • May 5, 2010 at 8:17 AM
    राजीव..आप हनुमान जी से कुछ ज्यादा ही परसनल हो रहे हो...बनता सन्मान देना ही चाहीये..जै श्री राम...
  • Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji जी कहते हैं...
    May 6, 2010 at 3:49 AM
    कमलेश चच्चा ! आप नहीं न समझ रहे हैं. ज्यादा भाव देंगे तो ले के नहीं जाएगा.
    टाइम-टाइम में बजरंग बली की जय करते हैं.
    हर समय करने से अकड सकते हैं.
    समय बीतने दीजिए देखिएगा कि कैसे उनको मुट्ठी में करते हैं.
    हा हा हा


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