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और भी भक्त हैं हनुमानजी के !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-



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दिन : सोमवार, 16-8-10.
स्थान : हमारा घर.
समय : दोपहर साढ़े तीन बजे.
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
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कल की तुलना में हम कुछ भले-चंगे हो चुके थे पर ज्यादा कुछ नहीं हुआ था.
हम प्रतीक्षारत थे कि हनुमानजी आयें तो हम उनको अपनी दिनचर्या दिखायें और उनसे उस लड़की के सन्दर्भ में भी पूछें जिससे वे मिलने गये थे !!
तभी कमरे के कोने में धूम से प्रकट होते हुए हनुमानजी दिखे, वे मुस्काये और हम भी मुस्काये. हम दोनों के मुस्काने का कारण अलग-अलग था. वे मुस्काये क्योंकि वे मुझसे मिलने आये थे और हम मुस्काये क्योंकि उनसे कल का हिसाब जो लेना था. :-)
पहले प्रश्न-बाण हमने चलाये : क्यों प्रभु कल आप किससे मिलने गये थे !!
हनुमानजी : है एक लड़की.....
बहुत ही व्यग्रता से मुझे याद कर रही थी.
राजीव : कौन है वह ?
हनु. : तुम जानकर क्या करोगे !! (कहकर वे मुस्काये)
(इसके पहले कि हम कुछ बोलते वे ही बोले)
हनु. : अच्छा जाओ थाली लेके आओ.
(मैं चौंका कि बुनिया तो है नहीं, फिर थाली का क्या काम !!)
मैंने पूछा : प्रभु, थाली का क्या काम.
हनु. : तुमको मिलाते हैं.
मैं रसोईं में गया पर सारे पात्र जूठे थे, थाली भी, तो कैसे देता !! धोने में थोडा समय लगता. (कामचोर हूँ ना) अतः बोला : हनुमानजी, थाली में कैसे दिखायेंगे !! पहले बताइये कि वह है कौन !! बात घुमा के मत होइए मौन !!
हनु. : अरे बालक, वह अच्छे पति की कामना में पिछले १४ सप्ताह से मंगलवार का व्रत रख रही है, तो उसको दर्शन देना अनिवार्य था.
अब उसके लिये लड़का खोजना मेरा कर्तव्य बन गया है.
मैं सकुचाया कि कहीं मुझे ही न चुन लें, अतः तड से बात पलट के बोला तो फिर दिनचर्या तो आपने देखी ही नहीं. देख लीजिए तो बात आगे बढ़े.
मैंने उनकी ओर अपनी दिनचर्या बढ़ाई.
वे पढ़ने लगे :
1. उठ जाना.
2. चाय पीना.
3. लैट्रिन जाना.
4. ब्रश करना.
5. व्यायाम करना - 1 डिप्स.
6. स्नान करना.
7. भोजन करना.
8. रात्रिभोज करना.
9. सो जाना.
वे बोले मुझे पता था कि यही होगा. फिर बोले कि अच्छा चलता हूँ.
हमने भी प्रणाम किया और इस प्रकार एक बार फिर से दिनचर्या की यात्रा पर चल निकला.

आगे भी है अभी........

स्वतंत्रता दिवस के दिन.

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-



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दिन : रविवार, 15-8-10.
स्थान : हमारा घर.
समय : दोपहर साढ़े तीन बजे.
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
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आप सोच रहे होंगे कि हम कहाँ अदृश्य हो गये थे !!
तो बताते चलें कि हम तो यहीं थे बस हनुमान जी ही अदृश्य हो गये तो हम भी बैठ गये. नौ अगस्त के बाद आये ही नहीं.
आज १५ अगस्त है यानि कि स्वतंत्रता दिवस है.
आज हम फिर उसी स्थिति में थे यानि.....
हम बिस्तर पर पड़े बस मरने की प्रार्थना ही कर रहे थे. थकान और अस्वस्थता महसूस हो रही थी.
पूरे शरीर में भीषण दर्द की लहर उठ रही थी. दोनों पसलियों और पीठ में दर्द था. घुटने में और एड़ी में भी तीव्र दर्द था. बेहद दुर्बलता अनुभूत हो रही थी. मुंह खोलता था तो जबड़ा ही खुला रह जाता था, बड़ी कठिनाई से बन्द होता था.
हमारी स्थिति में पहले से कोई सुधार नहीं हो रहा था.
कि तभी कमरे के कोने से कुछ परिचित सा धूम उठते देख कर आश्चर्य हुआ.
ऐसा लगा कि हनुमान जी प्रकट हो रहे हैं, पर हमें लगा कि ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि हनुमान जी हमसे रुष्ट हो गये हैं, वे तो आ ही नहीं सकते. पर तस्वीर धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी और धीरे-धीरे हनुमानजी प्रकट हुए.
हम तो बस उठ कर उनके पाँव पकड़ लेना चाहते थे पर उठने का सामर्थ्य तो जैसे खो चुके थे.
हनुमानजी के तेजस्वी चेहरे पर एक अद्भुत सी आभा विद्यमान थी. वे मुस्कुराए और बोले : लेटे रहो, लेटे रहो...
हम कुछ संतुष्ट हुए कि मेरे मन की बात वे समझ गये थे.
वे आगे बोले : तो मानते हो न कि मेरे बिना तुम आगे नहीं बढ़ सकते !!
यह सुनकर मेरी आँखों में आँसू भर आये.....हम निःशब्द पड़े रहे. मन ही मन यही कहा कि हनुमानजी मेरा बल तो आप हैं.
हम क्षमा चाहेंगे कि हमने सदैव ही आपकी उपेक्षा की.
वे बोले : तो कल से दिनचर्या आरम्भ करते हैं, ठीक !!
कल से क्यों आज से ही...बल्कि अभी से...ठीक !!
और पहले वाली सारी बातें रहेंगी कि प्रतिदिन आपकी दिनचर्या में नौ सुधार होने ही चाहिये और एक नई बात भी जोड़िए कि यदि कोई एक त्रुटि हुई तो आप दो सुधार दण्ड के रूप में करेंगे. ठीक !!
हमने हाँ में सिर हिलाया और हलके से मुस्काये. तब तक आँसू की धारायें सूख चुकी थीं.
वे बोले : तो हम चलते हैं, एक लड़की से भी मिलने जाना है और हम जरा जल्दी में हैं. जय श्री राम.
हमने भी मन ही मन 'जय श्री राम' कहा.
लेकिन हम चौंके कि वे एक लड़की से मिलने क्यों गये !!!!
और ये लड़की कौन है !!!!
कल तक बोलने में ठीक हो जायें फिर बहुत कुछ पूछना है कि कहाँ गये थे. क्यों गये थे और ये लड़की कौन ??
पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा है कि ये सब कुछ नौ अगस्त को भी हुआ था !!
आप क्या सोचते हैं ?

आगे भी है अभी........

हनुमानजी, लड़की और मैं !!

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दिन : सोमवार, 9-8-10.
स्थान : हमारा घर.
समय : दोपहर तीन बजे.
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
-------------------------------------------------------------------------------------------हम बिस्तर पर पड़े बस मरने की प्रार्थना ही कर रहे थे. थकान और अस्वस्थता महसूस हो रही थी.
पूरे शरीर में भीषण दर्द की लहर उठ रही थी. दोनों पसलियों और पीठ में दर्द था. घुटने में और एड़ी में भी तीव्र दर्द था. बेहद दुर्बलता अनुभूत हो रही थी. मुंह खोलता था तो जबड़ा ही खुला रह जाता था, बड़ी कठिनाई से बन्द होता था.
कि तभी कमरे के कोने से कुछ परिचित सा धूम उठते देख कर आश्चर्य हुआ.
ऐसा लगा कि हनुमान जी प्रकट हो रहे हैं, पर हमें लगा कि ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि हनुमान जी हमसे रुष्ट हो गये हैं, वे तो आ ही नहीं सकते. पर तस्वीर धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी और धीरे-धीरे हनुमानजी प्रकट हुए.
हम तो बस उठ कर उनके पाँव पकड़ लेना चाहते थे पर उठने का सामर्थ्य तो जैसे खो चुके थे.
हनुमानजी के तेजस्वी चेहरे पर एक अद्भुत सी आभा विद्यमान थी. वे मुस्कुराए और बोले : लेटे रहो, लेटे रहो...
हम कुछ संतुष्ट हुए कि मेरे मन की बात वे समझ गये थे.
वे आगे बोले : तो मानते हो न कि मेरे बिना तुम आगे नहीं बढ़ सकते !!
यह सुनकर मेरी आँखों में आँसू भर आये.....हम निःशब्द पड़े रहे. मन ही मन यही कहा कि हनुमानजी मेरा बल तो आप हैं.
हम क्षमा चाहेंगे कि हमने सदैव ही आपकी उपेक्षा की.
वे बोले : तो कल से दिनचर्या आरम्भ करते हैं, ठीक !!
कल से क्यों आज से ही...बल्कि अभी से...ठीक !!
और पहले वाली सारी बातें रहेंगी कि प्रतिदिन आपकी दिनचर्या में नौ सुधार होने ही चाहिये और एक नई बात भी जोड़िए कि यदि कोई एक त्रुटि हुई तो आप दो सुधार दण्ड के रूप में करेंगे. ठीक !!
हमने हाँ में सिर हिलाया और हलके से मुस्काये. तब तक आँसू की धारायें सूख चुकी थीं.
वे बोले : तो हम चलते हैं, एक लड़की से भी मिलने जाना है और हम जरा जल्दी में हैं. जय श्री राम.
हमने भी मन ही मन 'जय श्री राम' कहा.
लेकिन हम चौंके कि वे एक लड़की से मिलने क्यों गये !!!!
और ये लड़की कौन है !!!!
कल तक बोलने में ठीक हो जायें फिर बहुत कुछ पूछना है कि कहाँ गये थे. क्यों गये थे और ये लड़की कौन ??

आगे भी है अभी........