• आपका राजीव

  • आपका प्रेम

  • Tags Cloud

हनुमानजी ने पूछा : आप पिछली बार कब नहाये थे !

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-

आज हम पुनः हनुमान जी के सम्मुख खड़े थे. और इस बार हमारे चेहरे पर कुछ ज्यादा ही चमक थी. ये चमक हनुमान जी को पराजित करने की थी कि कल इन्होने हमें ले जाने से अडंगा लगा दिया और आज हमने उस बाधा को पार कर लिया.
हमारे हाथ में हमारी दिन-चर्या थी और चेहरे पर विजयी मुस्कान.
हमने हनुमान जी की ओर एक पन्ना बढ़ाया, जो हमारी दिन-चर्या का पन्ना था.
उसे देख कर हनुमान जी बोले : ये क्या !
राजीव : अडंगा.....मेरा मतलब है मेरी दिनचर्या है प्रभु जी. अब आप देखिये और कब चलना है यह निर्णय लीजिए.
हनुमान जी मेरा टाइम-टेबल पढ़ने लगे और हम बतासा उठा के खाने लगे.
हनुमान जी : १. उठना.
२. चाय पीना.
३. लैट्रिन जाना.
४. ब्रश करना.
५. भोजन करना.
बस्स ! ये क्या है !
राजीव : दिनचर्या है और क्या !
हनुमान जी : ये आपके सारे कार्यों की सूची है ?
राजीव : हाँ और क्या !
हनुमान जी : यानी आप नहाये नहीं हैं !
राजीव : नहीं, पर रोज-रोज कौन नहाता है, पानी की इतनी समस्या है...आप तो जानते ही हैं. (हम मुस्काए) आप तो अंतर्यामी हैं.
हनुमान जी का चेहरा बता नहीं पा रहा हूँ और उनके मन में क्या चल रहा था यह तो सोच भी नहीं सकता. वे बोले :
(मेरा टाइम-टेबल पकडाते हुए) ये लीजिए और कल से आप नहीं आयेंगे और यदि आयेंगे तो स्नान करके ही आयेंगे.
हे राम ! घोर कलियुग आ गया है. लोग बिना स्नान के ही मंदिर में घुस जाते हैं !!
आप कल भी नहीं नहाये होंगे ?
राजीव : नहीं.
हनुमान जी : हे राम ! छिः-छिः.....
आप पिछली बार कब नहाये थे !
राजीव :(कुछ लजाते और सकुचाते हुए) २६ अप्रैल.
हनुमान जी : १० दिन पहले !!!!!!!!!!!!
हे प्रभु ! (ऐसा कहकर उन्होंने अपना माथा पकड़ लिया)कल से आप नहीं आयेंगे और यदि आयेंगे तो स्नान करके ही आयेंगे.
राजीव : (यह महसूस करते हुए कि कहीं कुछ भारी भूल हुई है) जी.......... ठीक है.
हम शांतिपूर्वक उठे......
.
.
.
.
.
.
.घूमे.
.
.
.
.
और मंदिर के बाहर.................

3 comments on "हनुमानजी ने पूछा : आप पिछली बार कब नहाये थे !"

  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    May 20, 2010 at 10:49 PM
    अरे भाई आपकी लेखनी का कोई अंत नहीं है,,मैं आपसे सवाल तो नहीं पूछ सकता ,लेकिन हाँ आपसे एक विनती कर रहा हूँ,,,, ये भगवान् क्या है भगवान् करते क्या है,रहते कंहा हो और उनको पाने के लिए सबसे आसान तरीका कोण सा है,दोनों में बढा कोण,भक्त या भगवान्,,और क्यों ,,,,,कृपा करके मार्गदर्शन करे,वो भी एक लेख के जरिये ..आपके जबाब में बैठा,, भक्त राम कुमार
  • Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji जी कहते हैं...
    May 22, 2010 at 9:16 AM
    हा हा हा
    इतने सारे प्रश्न लवली भाई !!
    पिछली होली (इसी साल की) में हमने रामजी को देखा था अपनी आँखों के ठीक सामने....फिर क्या था हमने उनका मजाक उड़ाया.
    अब तुम्हीं बताओ कि अचानक भगवान सम्मुख उपस्थित हो जायेंगे तो जिसने भगवान को न देखा हो वह क्या करेगा ? सीधी सी बात है कि वह विश्वास ही नहीं करेगा.
    अब पछता रहे हैं कि क्या करें !!
    पर अब वह दोबारा दर्शन ही नहीं दे रहे हैं, तो हम हनुमान जी के सहारे रामजी तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं. :-)
    कभी कोशिश करेंगे कि तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर दे पायें.
  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    May 24, 2010 at 6:54 AM
    राजीव जी कृपा कर के आप मेरी किसी भी बात का बुरा मत मानना और यदि कोई भूल हो भी जाये तो छोटा भाई समझ के माफ़ कर देना, असल बात यह है के बचपन मेरी आदत है एक तो बाल की खाल उधेड़ना यानि बात की तह तक जाना ,दूसरी यह की अगर कोई बात अच्छी ना लगे तो मैं बीच में ही टोक देता हूँ ,एक बार हमारे गाँव में कोई संत प्रवचन सुना रहे थे मैं भी बढे भक्ति भाव से सुन रहा था,कुछ देर वाद वो बोले की ये जो साधू लोग भीख मांग कर खाते है कुछ काम नहीं करते इन्हें अपने अगले जन्म में जन्म से मरण तक सिर्फ काम करना पड़ता है.यानि वो गधे की योनी[जून]में जाते है.बस इतना सुन कर मैं खड़ा हो गया मैं हाथ जोड़ उनसे बोला हे संत जी गलती हो तो माफ़ करना.आपने अपना अगला जन्म देख लिया है वो बोले क्या कहना चाहते हो बेटा,,मैंने कहा आप भी तो बही गलती कर रहे है, फर्क सिर्फ इतना है की वो साधू गली गली भीख मांगते है लोगो की बद दुआ लेके भी दुआ ही देते है;लेकिन आपने भी तो कपडा बिछाया हुआ है जंहा ये लोग भीख चढ़ा रहे है आप अपने इतने महंगे प्रवचन इन चंद सिक्को के लिए बेच रहे है,,,बस इतना कहना था संत जी की बोलती बंद और मैं उठकर राम राम करता अपने घर आगया,,पता नहीं यंहा किसकी गलती थी मेरी या उन संत जी की आज तक जवाव नहीं मिला,,


नीचे दिया गया बक्सा हिंदी लिखने के लिए प्रयोग करें.

Post a Comment