• आपका राजीव

  • आपका प्रेम

  • Tags Cloud

लैट्रिन जाना बन्द कराया हनुमान जी ने !!

ऐसे लेख इस श्रेणी में हैं-


मित्रों समयाभाव के कारण हम आलेख समय पर नहीं लिख पाये परन्तु विश्वास है कि हम सभी आलेख अब लिख पायेंगे. यह व्यवधान संभवतः रामजी की ही इच्छा रही हो और अब वह ये आलेख लिखवाने में हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हों !
पर विश्वास मानिए कि हम क्रमबद्धता, कर्तव्य-पालन, अनुशासन और मन्दिर-गमन का कठोरता से पालन करते रहे हैं.
तो फिर इस बीच क्या-क्या घटा वह सब बताने का समय अब आ गया है.
---------------------------------------------------------------------------

दिन : मंगलवार
स्थान : हनुमान मन्दिर
समय : रात्रि के साढ़े ग्यारह
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
--------------------------------------------------------------------------

हम पुनः हनुमानजी के समक्ष थे. समस्या वही मुझे रामजी के पास ले चलो और हनुमानजी द्वारा हमारी और रामजी की समय-सारिणी का मिलान/मिलाप करना.
--------------------------------------------------------------------------


हमने हनुमानजी से अधीरता से पूछा : प्रभु कब चलेंगे !! (हमारा तो मुखमंडल ही प्रश्नवाचक की मुद्रा में था.)
हनुमानजी : बालक, जब तुम चाहो.
राजीव : तो अभी चलिये न !
हनुमानजी : अभी रात के साढ़े ग्यारह बजे किसी के घर जाते हैं !
राजीव : तो कल दिन में चलिये !
हनुमानजी : पर आपकी दिनचर्या तो प्रभु की दिनचर्या से मिलनी चाहिये न !!
राजीव : वो कब मिलेगी !!
हनुमानजी : अरे पुत्र ! अधीर क्यों होते हो !! जब हम देखेंगे तो कमियां बतायेंगे और तुम सुधार लोगे फिर चलेंगे.
राजीव : (कुछ संतुष्ट होते हुए) ठीक है. (यह कहकर अपनी दिनचर्या उनकी ओर बढ़ाई)
वे पढते हैं.
हनुमानजी : हूँsssss......
. सुबह १०:०५ बजे तक उठ जाना.
. १०:२५ बजे तक लैट्रिन जाना.
. १०:५५ बजे तक ब्रश करना.
. ११:२५ बजे तक चाय पीना.
. :५० बजे तक स्नान करना.
. :१० बजे तक भोजन करना.
. :५५ बजे तक व्यायाम करना. -१६ डिप्स.
. ११:१५ बजे तक रात्रि-भोज करना.
ह ह ह, अच्छा है अब आप सुबह दस बजे के आस-पास पहुँच गये हैं.
.....और शय्या-चय्या भी छोड़ दी है.
सब आशानुरूप हो रहा है. अब आप अपने चलने के समय के समीप पहुँच रहे हैं.
राजीव : अर्थात आप अभी भी नहीं ले जायेंगे !!
हनुमानजी : देखिये, आप प्रभु के सम्मुख जा रहे हैं.......और यह कोई खेल नहीं है............कुछ तो सुधार आपको करना ही पड़ेगा. क्या आप अपने में सुधार नहीं देखते !!!
क्या आप इन सुधारों से प्रसन्न नहीं हैं !!!
राजीव : हाँ, वो तो है. (यह कह कर हम कुछ संयत होने लगे.)
हनुमानजी : अब भविष्य में जब आप समय-सारिणी लाइये तो यह दूसरा कर्म हटा दीजियेगा.
राजीव : क्यों ?
हनुमानजी : क्योंकि, अच्छा नहीं लगता और हमने तो इसलिए जुड़वाया था ताकि आपमें क्रमबद्धता आ जाए. जो कि आ चुकी है.
राजीव : तो आप उसे छुड़वा क्यों रहे हैं !!
हनुमानजी : (बहुत जोर से हँसे, पर हंसी का स्वर वही रहा)ह ह ह....ह ह ह हम तो एक पल को डर भी गये. !!!!!
अरे वत्स ! छुड़वा नहीं रहे हैं वरन मात्र इतना ही चाह रहे हैं कि उसे न लिखा जाय. अब समझे !! बड़े नादान हो सच्ची, ह ह ह.
राजीव : (हम भी कुछ लज्जित हुए पर स्वयं पर हँसने से स्वयं को ही न रोक पाये) हा हा हा....हमको लगा कि.....!!
हा हा हा.
चलिये.........
.....जी ठीक है, कल से यह कार्य हमारी दिन-चर्या में अदृश्य रूप में विद्यमान रहेगा.
आज भी हम प्रसन्न मन से (यह विचार करते हुए कि ये भी इतने बुरे नहीं हैं) हनुमान जी के सामने से उठे......
.
.
.
.
.
.
.घूमे.
.
.
.
.
और मंदिर के बाहर................

5 comments on "लैट्रिन जाना बन्द कराया हनुमान जी ने !!"

  • दिवाकर मणि जी कहते हैं...
    June 28, 2010 at 5:25 AM
    हनुमान जी के दिशा-निर्देशन में बहुत सही जा रहे हो परम भक्त राजीव बबुआ.... अतुलित बलवाले, दनुजसंहारक श्री हनुमान आपके समय-सारणी को और सुधार दें, इसी शुभकामना के साथ....
  • Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji जी कहते हैं...
    June 28, 2010 at 6:18 AM
    दिवाकर जी आपकी यह टिप्पणी तो ब्लॉग पर दिवा लेकर आई है, अब पूरी सम्भावना है कि हम प्रगति कर पायें.
    मारुतिनंदन मारुततुल्यवेग जीवन में लायें, यही कामना है ताकि हम शीघ्रता से पूरे बल-बुद्धि से कर्म-कुरुक्षेत्र में उतर पायें.
    धन्यवाद.
  • Himanshu Mohan जी कहते हैं...
    June 28, 2010 at 9:09 AM
    तो अब से आपकी समय-सारणी और शिष्ट हो जायगी। हूम्म! तो आप अब वाकई सुधर रहे हैं, जल्दी ही वो दिन आ जायगा जब आप के लिए हमें लिखना पड़ेगा कि आप अब वाकई सुधर चुके हैं।
    और तब ये पोस्टें डिलीट मत कर दीजिएगा। क्रमबद्ध विकास के दस्तावेज़ हैं ये - कि मनुष्य इच्छाशक्ति और उचित मार्गदर्शन से कुछ भी कर सकता है।
    बधाई और शुभेच्छाएँ…
  • Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji जी कहते हैं...
    June 28, 2010 at 10:47 AM
    @ Himanshu Mohan : 'क्रमबद्ध विकास के दस्तावेज़' !!
    आपने तो बहुत ही बड़ी बात बोल दी हिमान्शु जी ! हम तो नत-मस्तक हो गये आपकी इस टिप्पणी के आगे.
    हाँ, आपका कहना सही है कि अब हमारी समय-सारिणी और भी शिष्ट हो जायेगी.
  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    June 30, 2010 at 12:12 AM
    बधाई हो महाराज ,,,,,,,
    बहुत ही बढ़िया है, ज्ञान से भरपूर होते है आपके सारे लेख...
    और हिमांशु जी ने बिलकुल सही कहा है,, धन्यवाद


नीचे दिया गया बक्सा हिंदी लिखने के लिए प्रयोग करें.

Post a Comment