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चलो... अंततः, कब तक ऐसा ही करोगे !!

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कल अस्वस्थ होने के कारण हनुमानजी से कोई वार्ता नहीं कर पाए, पर वो खूब बोले.
आज के आलेख में हमारे शब्द भी हैं और हनुमानजी के भी.
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दिन : शनिवार, 10-7-10.
स्थान : हमारा मन्दिर मतलब घर.
समय : रात्रि 4:30 बजे.
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
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अभी तक विश्वास नहीं हो रहा कि हनुमानजी कल घर आये हुए थे.
खैर, हमारी दिनचर्या एक नए सिरे से प्रारम्भ करवा के ही गये थे.
यानि कि 'साढ़े तीन बजे तक उठ जाना' वाली.
और अभी तो आज की दिनचर्या के साथ-साथ उसकी नौ विशेषताएं भी बतानी थीं क्योंकि हम नौ जुलाई को जन्मे थे.
(रामजी की कृपा है कि इकतीस को नहीं जन्मे वर्ना.....)
(हम यही सब सोच रहे थे कि सामने हनुमानजी दिखे)
राजीव : प्रणाम हनुमानजी.
हनुमानजी : ह ह ह, अभी जगे ही हो.
राजीव : अरे, आप ही की प्रतीक्षा कर रहा था. कल तो आप बोलते रहे और हम सो गये, क्या करते रोक नहीं पाए नींद को कि मत आये और आज हम सोना नहीं चाहते थे, वर्ना आप नाराज़ हो जाते.
हनुमानजी : ह ह ह, हाँ कल हम बोलते रहे फिर देखे तो तुम सो चुके थे.
यही न कलियुग है भगवान बोल रहे हैं और भक्त सो रहे हैं, ह ह ह.
(हम समझ गये कि ये अब हमको लजवा रहे हैं, अतः हमने दूसरा विषय छेड़ना ही उचित समझा)
राजीव : हाँ, दिनचर्या हमने बना ली है, दिखाएँ.
हनुमानजी : ह ह ह, दिखाओ.
राजीव : (उनकी ओर बढाते हुए) ये लीजिए....
दिनचर्या कुछ इस तरह से थी :
१. उठना.
२. चाय पीना.
३. लैट्रिन जाना.
४. ब्रश करना.
५. व्यायाम करना.
६. स्नान करना.
७. भोजन करना.
८. रात्रिभोज करना.
९. सो जाना.
हनुमानजी : हमको पता था कि तुम यही करोगे !!
चलो... अंततः, कब तक ऐसा ही करोगे !!
बस ये याद रखना कि ये मेरा साथ तुम्हें अंतिम बार के लिए ही मिल रहा है !!
शुभरात्रि.
(यह कह कर हनुमानजी घूमे और अदृश्य हो गये.)
(ऐसा कहते हुए उनके स्वर में घोर निराशा थी जो अब मेरे मन मस्तिष्क तक विस्तृत हो चुकी थी....)

1 comments on "चलो... अंततः, कब तक ऐसा ही करोगे !!"

  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    July 23, 2010 at 4:53 AM
    बहुत ही बढ़िया वापसी,, एक नये लेख के साथ , नया साल नई सुबह नई जिन्दगी और एक नई दिनचर्या के साथ,,.,.,.,,., हमेशा खुश रहो... god bless you,,,,


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