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स्वतंत्रता दिवस के दिन.

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दिन : रविवार, 15-8-10.
स्थान : हमारा घर.
समय : दोपहर साढ़े तीन बजे.
व्यक्ति : बस दो (एक प्रभु हनुमानजी और दूसरा उनका भक्त राजीव)
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आप सोच रहे होंगे कि हम कहाँ अदृश्य हो गये थे !!
तो बताते चलें कि हम तो यहीं थे बस हनुमान जी ही अदृश्य हो गये तो हम भी बैठ गये. नौ अगस्त के बाद आये ही नहीं.
आज १५ अगस्त है यानि कि स्वतंत्रता दिवस है.
आज हम फिर उसी स्थिति में थे यानि.....
हम बिस्तर पर पड़े बस मरने की प्रार्थना ही कर रहे थे. थकान और अस्वस्थता महसूस हो रही थी.
पूरे शरीर में भीषण दर्द की लहर उठ रही थी. दोनों पसलियों और पीठ में दर्द था. घुटने में और एड़ी में भी तीव्र दर्द था. बेहद दुर्बलता अनुभूत हो रही थी. मुंह खोलता था तो जबड़ा ही खुला रह जाता था, बड़ी कठिनाई से बन्द होता था.
हमारी स्थिति में पहले से कोई सुधार नहीं हो रहा था.
कि तभी कमरे के कोने से कुछ परिचित सा धूम उठते देख कर आश्चर्य हुआ.
ऐसा लगा कि हनुमान जी प्रकट हो रहे हैं, पर हमें लगा कि ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि हनुमान जी हमसे रुष्ट हो गये हैं, वे तो आ ही नहीं सकते. पर तस्वीर धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी और धीरे-धीरे हनुमानजी प्रकट हुए.
हम तो बस उठ कर उनके पाँव पकड़ लेना चाहते थे पर उठने का सामर्थ्य तो जैसे खो चुके थे.
हनुमानजी के तेजस्वी चेहरे पर एक अद्भुत सी आभा विद्यमान थी. वे मुस्कुराए और बोले : लेटे रहो, लेटे रहो...
हम कुछ संतुष्ट हुए कि मेरे मन की बात वे समझ गये थे.
वे आगे बोले : तो मानते हो न कि मेरे बिना तुम आगे नहीं बढ़ सकते !!
यह सुनकर मेरी आँखों में आँसू भर आये.....हम निःशब्द पड़े रहे. मन ही मन यही कहा कि हनुमानजी मेरा बल तो आप हैं.
हम क्षमा चाहेंगे कि हमने सदैव ही आपकी उपेक्षा की.
वे बोले : तो कल से दिनचर्या आरम्भ करते हैं, ठीक !!
कल से क्यों आज से ही...बल्कि अभी से...ठीक !!
और पहले वाली सारी बातें रहेंगी कि प्रतिदिन आपकी दिनचर्या में नौ सुधार होने ही चाहिये और एक नई बात भी जोड़िए कि यदि कोई एक त्रुटि हुई तो आप दो सुधार दण्ड के रूप में करेंगे. ठीक !!
हमने हाँ में सिर हिलाया और हलके से मुस्काये. तब तक आँसू की धारायें सूख चुकी थीं.
वे बोले : तो हम चलते हैं, एक लड़की से भी मिलने जाना है और हम जरा जल्दी में हैं. जय श्री राम.
हमने भी मन ही मन 'जय श्री राम' कहा.
लेकिन हम चौंके कि वे एक लड़की से मिलने क्यों गये !!!!
और ये लड़की कौन है !!!!
कल तक बोलने में ठीक हो जायें फिर बहुत कुछ पूछना है कि कहाँ गये थे. क्यों गये थे और ये लड़की कौन ??
पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा है कि ये सब कुछ नौ अगस्त को भी हुआ था !!
आप क्या सोचते हैं ?

3 comments on "स्वतंत्रता दिवस के दिन."

  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    August 28, 2010 at 4:47 AM
    नमस्कार प्रभु ,,,
          देर आये दरुस्त आये , चलो आये तो सही ...... बहुत बढ़िया ..... हम आपके अच्छे स्वस्थ्य और अच्छे कल की कामना करते है,
  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    August 28, 2010 at 4:52 AM
    माफ़ करना प्रभु हमें ये शोख हसीना और उनके ये वस्त्र बिलकुल अच्छे नही लगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
  • lovely kankarwal जी कहते हैं...
    August 28, 2010 at 5:02 AM
    अलख निरंजन [आत्मा से परमात्मा का मिलन]
    lovelykankarwal.blogspot.com/
    प्रभु जी इन्हे आपके आशीर्वाद की सख्त जरुरत है, कृपा कर इनकी प्यास बुझाइए........... धन्यवाद...


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